जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा है कि अमृतकाल में भारत को विकसित, आत्मनिर्भर और समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए राम राज्य की सोच और आदर्श पर चलना ही सबसे उपयुक्त है। मुख्यमंत्री मंगलवार को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में ‘‘अमृत काल के लक्ष्य प्राप्त करने में लोक प्रशासन की भूमिका‘‘ विषय पर स्वामी गोविन्द देव गिरि जी महाराज के व्याख्यान के अवसर पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों एवं लोकसेवकों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी भी समाज की उन्नति के लिए धर्म का पालन बहुत आवश्यक है। सही मार्ग पर चलना, राष्ट्रहित तथा हर व्यक्ति को न्याय मिले यह सब धर्म की अवधारणा में निहित है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ने अपने जीवन में धर्म और मर्यादा के पालन का आदर्श समाज के सामने प्रस्तुत किया। भगवान राम के आदर्शों पर आधारित रामराज्य की अवधारणा में सभी के कल्याण का भाव निहित है।
शर्मा ने कहा कि लोक सेवकों को देश एवं प्रदेश की प्राथमिकताओं के अनुसार नीतियां बनानी चाहिए तथा उन नीतियों में नवीनतम तकनीक और नवाचारों को प्रभावी रूप से लागू करना चाहिए। साथ ही, उन्हें सुशासन के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही और सर्विस डिलिवरी पर फोकस रखते हुए कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि लोकसेवकों को अपनी भूमिका निष्ठा से निभानी होगी, जिससे आमजन का सुशासन के प्रति विश्वास बना रहें तथा विकसित भारत के निर्माण में सभी अपना योगदान दे सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या का राम मंदिर वर्तमान में दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक केंद्र है।
सेवक की तरह काम करने से ही शासक की शोभा : स्वामी गोविन्द देव गिरि जी महाराज
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित करते हुए स्वामी गोविन्द देव गिरि ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृत काल की संकल्पना हम सबके सामने रखी, जिसमें उन्होंने नारी, किसान, युवा एवं गरीब चार वर्गों के उत्थान पर विशेष जोर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के इस विजन तथा मुख्यमंत्री की प्रेरणा को पूरा करने के लिए लोकसेवकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि योजना बनाकर धरातल पर लागू करने का काम लोकसेवकों का ही है। उन्होंने कहा कि शासक की शोभा तब बढ़ती है जब वे सेवक की तरह काम करें और सुशासन के लिए प्रशासक जनता को अंकुश के साथ आधार भी दें। उन्होंने कहा कि लोकसेवकों का दृष्टिकोण धर्म, जाति, लिंग से परे पक्षपात रहित होना चाहिए।