जयपुर। आगामी लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, भारत निर्वाचन आयोग ने आज राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में तैनात किए जाने वाले पर्यवेक्षकों के लिए एक ब्रीफिंग का आयोजन किया। इसमें 2150 से अधिक वरिष्ठ आईएएस, आईपीएस अधिकारियों के साथ-साथ भारतीय राजस्व सेवा और कुछ अन्य केंद्रीय सेवाओं के अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हाइब्रिड मोड में आयोजित की गई थी, जिसमें कुछ अधिकारी संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालयों से वर्चुअली शामिल हुए। आगामी चुनाव में लगभग 900 सामान्य पर्यवेक्षक, 450 पुलिस पर्यवेक्षक और 800 व्यय पर्यवेक्षक तैनात किये जा रहे हैं। राजस्थान में आज 85 पर्यवेक्षकों ने इस ब्रीफिंग सत्र में वर्चुअली भाग लिया।
पर्यवेक्षकों को उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने उन्हें स्वतंत्र, निष्पक्ष, समान अवसर सुनिश्चित करने के साथ ही भय और प्रलोभन मुक्त चुनाव कराने के निर्देश दिए। सीईसी ने जोर देकर कहा कि पर्यवेक्षकों के रूप में आयोग के प्रतिनिधियों से अपेक्षा की जाती है कि वे स्वयं आदर्श रूप से आचरण करें और उम्मीदवारों सहित सभी हितधारकों के लिए उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि पर्यवेक्षकों से क्षेत्र में अपने आचरण में सख्त लेकिन व्यवहार में विनम्र रहने की अपेक्षा की जाती है। उन्होनें ये भी कहा कि पर्यवेक्षक मतदान केंद्रों का दौरा करें, वहां के भूगोल से परिचित हों और संवेदनशील क्षेत्रों की पूर्ण जानकारी लें।
कुमार ने यह भी उल्लेख किया कि आयोग ने सभी परिपत्रों को फिर से तैयार किया है, ईसीआई वेबसाइट पर उपलब्ध मैनुअल, हैंडबुक को भी खोजने योग्य और पढ़ने में आसान प्रारूप में अपडेट किया गया है। उन्होंने कहा कि हैंडबुक और मैनुअल विभिन्न अधिकारियों की भूमिकाओं और कार्यों के आधार पर तैयार किया गया है इनमें चैकलिस्ट के तौर पर ये भी दर्शाया गया है कि क्या करें और क्या न करें।
बैठक के दौरान सभी पर्यवेक्षकों को आयोग की विभिन्न नवाचारों के बारे में बताया गया ताकि वे कार्य की संवेदनशीलता को बेहतर समझ सकें। ब्रीफिंग सत्र के दौरान निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया गया:
1. पर्यवेक्षकों को चुनाव प्रक्रिया के दौरान आवंटित संसदीय क्षेत्र की सीमाओं के भीतर ही रहने का निर्देश दिया गया है इस हेतु इनके वाहनों में जीपीएस ट्रैकिंग लगाने का प्रस्ताव दिया गया है
2. पर्यवेक्षकों को अपने मोबाइल/लैंडलाइन नंबरों का व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया गया है इसके लिए सीईओ/जिला वेबसाइटों पर ईमेल पते/रहने के स्थान आदि को प्रदर्शित करने के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक/प्रिंट मीडिया में भी प्रसारित किया जाना चाहिए। पर्यवेक्षकों के आगमन के दिन से ही ये जानकारी उम्मीदवारों/मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को भी डीईओ/आरओ द्वारा दी जानी चाहिए।
3. पर्यवेक्षकों से कहा गया कि वे अपने फोन/ई-मेल पर हमेशा उपलब्ध रहें, उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों/सामान्य जनता/चुनाव ड्यूटी पर तैनात कार्मिक आदि की कॉल सुने/जवाब दें, इस संबंध में कोई भी शिकायत आयोग द्वारा गंभीरता से ली जाएगी।
4. डीईओ को पर्यवेक्षकों के साथ संपर्क अधिकारी और सुरक्षा के रूप में ईमानदार व्यक्तियों को तैनात करना चाहिए। संपर्क अधिकारी/सुरक्षा अधिकारी को तटस्थता बनाए रखने और उपस्थित होने के संबंध में उचित रूप से जानकारी दी जाए और जागरूक किया जाए ताकि अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी एवं सत्यनिष्ठा से करें।
5. पर्यवेक्षकों को अपने अनिवार्य कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करने हेतु निर्देशित किया गया है। जैसे- सुरक्षा बलों की तैनाती की प्रक्रियाओं में पूरी तरह से शामिल रहे एवं पूर्ण संतुष्ट होने पर ही आगे की कार्यवाही करना, रैंडमाइजेशन की प्रक्रिया, राजनीतिक दलों द्वारा सुविधा पोर्टल का उपयोग औरसभी उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना।
6 पर्यवेक्षकों को निर्देशित किया गया कि वे अधिक से अधिक मतदान केंद्रों का दौरा करें, संवेदनशील क्षेत्र में रहने वाले लोगों के साथ बातचीत करें, और ऐसे क्षेत्रों की कमजोरियों/समस्याओं की पहचान करें और उपाय सुनिश्चित करें।
7. पर्यवेक्षकों को यह भी निर्देश दिया गया कि वे डीईओ/आरओ द्वारा बुलाई जा रही उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों की बैठकों का निरीक्षण करें और देखें कि उनकी शिकायतों को ठीक से सुना जाए और उन पर कार्रवाई की जाए।
8. मतदान दिवस पर मतदान समय के दौरान, पर्यवेक्षकों को यथासंभव अधिक से अधिक मतदान केंद्रों का दौरा करने और मतदान केंद्रों के अंदर की स्थिति का नियमित रूप से आकलन करने और यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया कि मतदान स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से चल रहा है।
9. पर्यवेक्षकों को यह देखने के लिए कहा गया कि केंद्रीय बलों/राज्य पुलिस बलों का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से किया जाए और तटस्थता बनाए रखें, उनकी तैनाती भी किसी राजनीतिक दल/उम्मीदवार के पक्ष में नहीं हो।
दिन भर चले ब्रीफिंग सत्र के दौरान, अधिकारियों को वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त, डीईसी और ईसीआई के महानिदेशकों द्वारा चुनाव प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं के बारे में व्यापक और गहन जानकारी दी गई। चुनाव योजना, पर्यवेक्षकों की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां, मतदाता सूची के मुद्दे, आदर्श आचार संहिता के प्रवर्तन, कानूनी प्रावधानों, ईवीएम/वीवीपीएटी प्रबंधन, मीडिया सहभागिता और आयोग के प्रमुख स्वीप (व्यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं चुनावी भागीदारी) कार्यक्रम के तहत मतदाता सुविधा के लिए की गई गतिविधियों की श्रृंखला पर विस्तृत विषयगत प्रस्तुतियां दी गईं।
पर्यवेक्षक मतदाताओं की सुविधा के साथ-साथ क्षेत्र में चुनाव प्रक्रियाओं के प्रभावी और कुशल प्रबंधन के लिए आयोग द्वारा शुरू की गई विभिन्न आईटी नवाचारों और मोबाइल एप्लिकेशन से भी परिचित हुए। पर्यवेक्षकों को ईवीएम और वीवीपीपैट का एक कार्यात्मक प्रदर्शन प्रदान किया गया और ईवीएम पारिस्थितिकी तंत्र को पूरी तरह से सुरक्षित, मजबूत, विश्वसनीय, छेड़छाड़ रहित और विश्वसनीय बनाने के लिए विविध तकनीकी सुरक्षा सुविधाओं, प्रशासनिक प्रोटोकॉल और प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी दी गई।
पृष्ठभूमि—
आयोग लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 20बी और संविधान की पूर्ण शक्तियों के तहत पर्यवेक्षकों की तैनाती करता है। पर्यवेक्षकों को चुनाव प्रक्रिया, निष्पक्षता, विश्वसनीयता के पालन की महत्वपूर्ण और गंभीर जिम्मेदारी सौंपी गई है जो हमारी लोकतांत्रिक राजनीति का आधार है। आयोग अपने सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षकों पर पूर्ण भरोसा करता है और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में ऐसे पर्यवेक्षकों की भूमिका आयोग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये केंद्रीय पर्यवेक्षक न केवल स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी और समावेशी चुनाव कराने के अपने संवैधानिक जनादेश को पूरा करने में आयोग की मदद करते हैं बल्कि मतदाता जागरूकता और चुनाव में भागीदारी को बढ़ाने में भी योगदान देते हैं। चुनाव अवलोकन का मुख्य उद्देश्य सुधार के लिए क्षेत्रों की पहचान करना और ठोस और प्रभावी सिफारिशें तैयार करना है। ये पर्यवेक्षक आयोग की आंख और कान हैं।