जयपुर। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने प्रदेश की युवा पीढ़ी को नशे की लत से बचाने और नशामुक्त राजस्थान के संकल्प को साकार करने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए थे। इसकी अनुपालना में अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य शुभ्रा सिंह ने संबंधित विभागों की बैठक में नशीले पदार्थों एवं साइकोट्रोपिक ड्रग्स के अवैध व्यापार एवं इससे जुड़ी गतिविधियों पर सख्ती से रोकथाम लगाने के निर्देश दिए।
बैठक में निर्देश दिए गए कि पुलिस एवं औषधि नियंत्रण विभाग के अधिकारी एनडीपीएस दवाओं की अवैध बिक्री के विरूद्ध सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें। लाइसेंसधारी थोक एवं खुदरा दवा विक्रेताओं द्वारा एनडीपीएस दवाओं की बिक्री की प्रभावी मॉनिटरिंग की जाए। यदि बिना लाइसेंस के कोई विक्रेता ऐसी दवाएं बेचता पाया जाए तो उनके विरूद्ध एनडीपीएस एक्ट एवं औषधि नियंत्रण एक्ट की धाराओं के तहत कार्रवाई की जाए। साथ ही अन्य ऐसी दवाइयां जो नशे के रूप में इस्तेमाल की जा रही हैं लेकिन शेड्यूल एच में नहीं हैं, उनको शेड्यूल एच में सम्मिलित करने के लिए भारत सरकार को पत्र लिखा जाए।
कुछ मनोचिकित्सक मनोरोगियों को आवश्यकता से अधिक मात्रा में दवा लिखते हैं। इससे मनोरोगियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के साथ ही एनडीपीएस दवाओं के अवैध व्यापार को बढ़ावा मिलता है। इस प्रवृति पर अंकुश लगाने के लिए भी जरूरी कदम उठाए जाएं। यदि किसी मनोचिकित्सक के खिलाफ ऐसी शिकायत जांच में सही पाई जाए तो राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को उसका रजिस्ट्रेशन निरस्त करने के लिए सूचित किया जाए। साथ ही कोई लाइसेंसधारी दवा विक्रेता नशीली दवाओं के अवैध व्यापार में लिप्त पाया जाता है तो उस दुकान का एवं दुकान पर कार्यरत फार्मासिस्ट का लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन निरस्त करने के लिए फार्मेसी काउन्सिल को लिखा जाए।
बैठक में यह भी निर्देश दिए गए कि राज्य से बाहर स्थापित एनडीपीएस दवा निर्माता कम्पनियों द्वारा प्रदेश के दवा वितरकों को की जाने वाली आपूर्ति की संबंधित राज्यों के औषधि नियंत्रकों से जानकारी ली जाए। यदि आपूर्ति, विक्रय एवं स्टॉक की मात्रा में अन्तर पाया जाए तो कम्पनी सहित संबंधित सभी पक्षों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड राज्यों की तर्ज पर एनडीपीएस दवाइयों के स्टॉक को सीमित किया जाए।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग गैर पंजीकृत नशा मुक्ति केन्द्रों के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही करे और रजिस्टर्ड नशा मुक्ति केन्द्र का नियमित निरीक्षण करे। राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय नार्को कोर्डिनेशन सेन्टर की समिति की बैठक नियमित रूप से आयोजित की जाए।