‘कोई भूखा ना सोए’ की संकल्पना हो रही साकार : मुख्यमंत्री गहलोत

प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में खुलेंगी 1000 इन्दिरा रसोइयां

शहरी क्षेत्रों में इन्दिरा रसोइयों की संख्या अब 992

हर गरीब को सम्मानपूर्वक पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना सरकार का ध्येय

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा संचालित इन्दिरा रसोई योजना के माध्यम से गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को मात्र 8 रुपए में सम्मानपूर्वक पौष्टिक भोजन मिल रहा है। इस योजना से ‘कोई भूखा ना सोए’ का संकल्प साकार हो रहा है। इसी दिशा में प्रदेश के हर व्यक्ति को महंगाई की मार से राहत देने तथा भरपेट भोजन उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी 1000 इन्दिरा रसोइयां खोलने का निर्णय लिया है। इसका शुभारंभ 10 सितम्बर को टोंक जिले में निवाई के पास झिलाय से होगा। इन सभी 1000 रसोइयों का संचालन राजीविका समूह की महिलाओं द्वारा किया जाएगा। इससे 10,000 से अधिक महिलाओं को रोजगार भी मिलेगा। गहलोत मुख्यमंत्री निवास पर इन्दिरा रसोई योजना के संबंध में आयोजित महत्वपूर्ण बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की इस योजना से सुविधापूर्ण वातावरण में सम्मानपूर्वक मात्र 8 रुपए में भरपेट भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। इस योजना का लाभ विद्यार्थियों एवं श्रमिकों सहित सभी वर्ग के लोगों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में इंदिरा रसोई के संचालकों व कर्मचारियों द्वारा सराहनीय कार्य किया जा रहा है। 

गहलोत ने कहा कि ‘कोई भूखा ना सोए’ के संकल्प के साथ शुरू की गई इस योजना के माध्यम से कोरोना काल में 72 लाख लोगों को सरकार द्वारा निःशुल्क पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया गया। कोरोना के दौर में राज्य सरकार के प्रयासों के साथ-साथ स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी सेवा भाव से आगे बढ़कर सहयोग किया। प्रदेश में वंचित तबके के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से संचालित की जा रही इस योजना के लिए आर्थिक रूप से किसी भी तरह की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। बैठक में बताया गया कि उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रदेश के विभिन्न जिलों के इंदिरा रसोई संचालकों को सम्मानित भी किया जा रहा है। 

भोजन की गुणवत्ता की हो नियमित मॉनिटरिंग

मुख्यमंत्री ने इंदिरा रसोई योजना में परोसे जा रहे भोजन की गुणवत्ता एवं योजना में पारदर्शिता की नियमित मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को भी प्रतिमाह रसोईयों में जाकर भोजन करना चाहिए ताकि गुणवत्ता की सुनिश्चितता हो सके। इससे यहां नियमित भोजन करने आने वाले लोगों का मान-सम्मान बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि यह योजना आज महंगाई के दौर में बाहर से आने वाले विद्यार्थियों एवं कार्मिकों के लिए एक वरदान साबित हो रही है। बैठक में बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा नवीन रसोइयों की स्थापना के लिए 5 लाख रुपए की एकमुश्त राशि तथा 17 रूपए प्रति थाली अनुदान दिया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों की 992 इन्दिरा रसोइयों से अब तक 13 करोड़ से अधिक पौष्टिक एवं स्वादिष्ट भोजन की थालियां आमजन को परोसी जा चुकी हैं।

गहलोत ने कहा कि प्रदेश में 500 से अधिक स्थानीय सेवाभावी संस्थाओं के द्वारा ‘ना लाभ ना हानि’ के आधार पर रसोइयों का संचालन किया जाना सुखद बात है। इस योजना से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इंदिरा रसोई योजना में भामाशाहों द्वारा भी भोजन प्रायोजित किया जा सकता है। इस अवसर पर ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री रमेश मीणा (वीसी के माध्यम से), मुख्य सचिव उषा शर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव अभय कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त अखिल अरोड़ा एवं अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।