जयपुर। राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि श्रीअन्न (मिलेट्स) और इनसे बने उत्पादों को एक बार फिर खानपान की मुख्यधारा में लाने की जरूरत है। श्रीअन्न स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होते हैं। विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने बीकानेर में स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित शीतकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए यह बात कही।
विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास निदेशालय में चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि ‘मोटा खाओ, मोटा पहनो’ की कहावत को फिर से साकार करने की जरूरत है। उन्होंने चिंता जताते हुए कि उत्पादन बढ़ाने की होड़ में आज गेहूं आदि के उत्पादन में अत्यधिक रासायनिक उर्वरक और खाद का अंधाधुंध उपयोग किया जा रहा है। इससे कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। इसके मद्देनजर हमें श्रीअन्न की ओर अग्रसर होने की जरूरत है।

विधानसभा अध्यक्ष ने कृषि वैज्ञानिकों का आह्वान करते हुए कहा कि वे प्रयोगशालाओं तक सीमित ना रहें। इनके अनुसंधान गांव के अंतिम छोर पर बैठे किसान और मजदूर की आवश्यकताओं को पूरा करेंगे, तभी इनकी सार्थकता होगी। खाजूवाला विधायक डॉ. विश्वनाथ मेघवाल ने कहा कि श्रीअन्न के सेवन से ब्लड प्रेशर और शूगर दोनों नियंत्रित रहते हैं। राज्य सरकार मोटे अनाज को विश्व के सभी देशों में निर्यात करने और इनका उत्पादन बढ़ाने के लिए कटिबद्ध है। इससे किसानों को भी आर्थिक संबल मिलेगा।
प्रशिक्षण कार्यक्रम संयोजक और सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. विमला डुकवाल ने बताया कि ‘खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए बाजरा आधारित पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना’ विषय पर चल शीतकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम में 11 राज्यों के 25 वैज्ञानिक हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स विभिन्न स्टार्टअप के जरिए श्रीअन्न को बढ़ावा देने में जुटे हैं।
अनुसंधान निदेशक डॉ. पी.एस. शेखावत ने श्रीअन्न के राज्य और देश में उत्पादन, वैरायटी व इनके गुणों के बारे में जानकारी दी। डॉ. प्रसन्नलता आर्य ने आभार जताया। वीडियो फिल्म के माध्यम से विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की जानकारी दी गई। मंच संचालन डाॅ. मंजू राठौड़ ने किया।